यात्रा श्री माता वैष्णो देवी की !!

चलो बुलावा आया है !! माता ने बुलाया है। कहते हैं माता वैष्णो देवी के दरबार में वो ही जा सकता है जिसे माता रानी खुद बुलवा भेजती है और एक बार माँ का संदेसा आ गया तो भक्त रुक नहीं पता। आज माँ का बुलावा आया है हमारे लिए और आपके लिए, ऊँचे ऊँचे पहाड़ो पे रहने वाली माँ वैष्णवी ने बुलाया है!! तो चलिए चलते है आज की यात्रा पे…. शेरों वाली माँ, मेहरों वाली माँ, पहाड़ों वाली माँ… सबका कल्याण करने वाली जगत-जननी जगदम्बिका !! हज़ारो नामो से भक्त माँ को बुलाते है।  वैष्णो देवी की महिमा से कोई अनजान नहीं। त्रिकूट पर्वत पर गुफा में माँ साक्षात महा शक्ति , महा लक्ष्मी तथा महा सरस्वती की पिंडी रूप में  विराजमान हैं। यह यात्रा शुरू होती है जम्मू के छोटे से शहर कटरा से। कटरा त्रिकूट पर्वत की पहाड़ियों में बसा एक छोटा सा शहर है तथा रेल व बस द्वारा देश के सभी मुख्य शहरों द्वारा जुड़ा हुआ है। हवाई यात्रा के लिए यात्री जम्मू तक हवाई जहाज से आ सकते है तथा जम्मू से कटरा के लिए बस ले सकते है। दूर दूर से माता के दर्शनों के लिए आये यात्री कटरा से अपनी यात्रा प्रारम्भ करते हैं। कटरा में रहने तथा खाने पीने के उचित प्रबंध है।

यात्रा रजिस्ट्रेशन काउंटर , कटरा (बस स्टैंड के समीप)
यात्रा रजिस्ट्रेशन काउंटर , कटरा (बस स्टैंड के समीप)

कटरा में विश्राम कर के हम अपनी यात्रा प्रारम्भ करते है। यात्रा शुरू करने से पहले यात्री को यात्री पर्ची लेना अनिवार्ये है। यह पर्ची यात्रा रजिस्ट्रेशन काउंटर से प्राप्त की जा सकती है। यह काउंटर बस स्टैंड के समीप स्थित है। यात्रा पर्ची प्राप्त करने के बाद हम अपनी यात्रा बाणगंगा चेक पोस्ट से शुरू करते है और चल पड़ते है माँ के दरबार की तरफ। कटरा से माता के भवन तक की दुरी लगभग 14 कि. मि. की है जिसे यात्री अपनी इच्छा अनुसार पैदल, घोड़ी-खच्चर या पालकी के द्वारा तय कर सकते हैं। ज्यादातर श्रद्धालु पैदल ही माँ के दरबार तक जाते है। चढ़ाई के रास्ते में सीढ़िया भी बानी हुई है परन्तु चढ़ने के लिए सीढ़ियों के स्थान पे पैदल चलना ज्यादा आराम दायक है।  वापिसी के समय उतरते हुए सीढ़ियों का उपयोग किया जा सकता है।

दर्शनी दरवाज़ा (बाणगंगा चेक पोस्ट )
दर्शनी दरवाज़ा (बाणगंगा चेक पोस्ट )

ऐसा मन जाता है की बाणगंगा के स्थान पे माता ने बाण मार के धरती से गंगा प्रकट की थी और उसी गंगा के जल में अपने बाल धोए थे।  यहाँ पर स्नान करने से तन और मन पवित्र हो जाते है।

banganga
बाणगंगा

जय माता दी !! जय माता दी !! के नारों की गूंज मन में एक जोश और उत्साह भर देती है। माता रानी अपने भक्तो को खुद हिम्मत और ताकत देती है ताकि भक्त ऊँचे पहाड़ों को लांघ के माता के दर्शनों के लिए पहुँच सकें। ऐसा माना जाता है की माता वैष्णो देवी पैदल यात्रा करने वालो को खुद हिम्मत देती है इस यात्रा को पूर्ण करने की। मन में माता के दर्शनों की आस लिए भक्त चलते जाते है vaishno devi yatra रस्ते में बहुत सी सुन्दर दुकाने सजी रहती है जहां जल-पान की व्यवस्था है। पैदल यात्रा अत्यंत शांति देने वाली होती है रस्ते के एक ओर ऊँचे पहाड़ तथा दूसरी ओर ऊंचाई से दिखता कटरा शहर। यह दृश्य मन को मोह लेता है।  बाणगंगा के बाद अगला पड़ाव चरण पादुका है। ऐसा माना है की यहाँ पर माता रानी के पद चिन्ह है। पहले यहाँ एक छोटा सा मंदिर हुआ करता था परन्तु अब यहाँ एक सुन्दर मंदिर का निर्माण किया गया है। vaishno devi yatra katra hills त्रिकूट पर्वत की इन पहाड़ियों पर पहुँच कर भक्त अपने सारे दुःख भूल जाता है और माँ के धुन में लीन हो जाता है। माँ वैष्णो अपने भक्तों को बुलाती है और उनके सारे दुःख-दर्द दूर कर देती है। ऐसी ही महिमा है पहाड़ों वाली माँ वैष्णो देवी की।अगला पड़ाव है अर्ध कुवारी की गुफा का !! इस गुफा में माता रानी ने नौ मॉस तक रह के तपस्या की थी।  इसे गर्भ जून भी कहा जाता है। इस गुफा से हो कर गुज़ारना, माँ के गर्भ से हो कर गुजरने के समान है। अर्ध कुवारी में रुकने तथा विश्राम करने की उचित व्यवस्था है। vaishno devi yatra katra इस पुरे रास्ते की देख रेख श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा की जाती है।  रास्ते में श्राइन बोर्ड द्वारा कई भोजनालय बनाये गए है जहा साफ़ सुथरा भोजन उच्चित मूल्य पर मिलता है। यहाँ के भोजनालयों में आप स्वादिष्ट राजमा चावल का आनंद उठा सकते है।shri mata vaishno devi shrine board bhojnalaya रास्ते में जगह जगह यात्रियों के विश्राम के लिए छायंकृत बेंच लगे हुए है। बोर्ड द्वारा रास्ते में अनेक स्थान पर साफ़ तथा  जल युक्त शौचालय का निर्माण करवाया गया है। vaishno devi yatra माता रानी का दरबार सबके लिए बराबर खुला है। भक्त चाहे जवान हो या बुढा, अमीर हो या गरीब, छोटा हो या बड़ा, माँ की नज़र में सब उसके बच्चे है।  माँ के दर्शन सबके लिए खुले है। माता का भवन त्रिकूट पर्वत की पहाड़ियों के बीच बना है। यहाँ माता रानी की पवित्र गुफा है जहा माता रानी पिंडी रूप में विराजमान है। भवन प्रागण में  भोजनयालय, स्नान-घर तथा शौचालय बने हुए है। mata vaishno devi yatra cloak room free विश्राम के लिए भवन बने हुए है तथा सामान रखने के लिए मुफ्त क्लॉक रूम की सुविधा उपलब्ध है। भवन प्रागण में निशुल्क कम्बल भी उपलब्ध है vaishno devi yatra bhawan माता के भवन पे पहुँच कर भक्त धन्य हो जाते है। माता के भवन से कुछ ऊपर भैरोघाटी है जहाँ पर भेरो बाबा का मंदिर है।  ऐसा कहा जाता है की भेरो बाबा के दर्शन के बिना वैष्णो देवी की यात्रा पूर्ण नहीं होती। भक्त माता की पवित्र गुफा के दर्शन कर के भेरो के दर्शन करते है। जय माता दी!!

कुछ महत्वपूर्ण बातें –

  • यात्री पर्ची के बिना कोई भी यात्री बाणगंगा चेक पोस्ट से आगे नहीं जा सकता। पर्ची लेने के 6 घंटे के अंदर यात्री को बाणगंगा चेक पोस्ट पार करना अनिवार्य है। यह नियम यात्रियों की सुरक्षा के लिए श्राइन बोर्ड द्वारा बनाये गए है।  इनका पालन अवश्य करे।
  • रास्ते में ज्यादा सामान न ले कर जाएं। खाने-पीने का सामान रास्ते में उपलब्ध है।
  • कटरा में मासांहार तथा शराब आदि पर प्रतिबन्ध है।
  • कटरा से माता के भवन पहुँचने में 5 से 6 घंटे का समय लगता है।
  • माता का दरबार 24 घंटे दर्शनों के लिए खुला रहता है।
  • श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की वेब-साइट पर काफी महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध है।
  • माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा जम्मू, कटरा, अर्धकुंवारी तथा माता के भवन के नज़दीक रहने की अच्छी व्यवस्था की गयी है। श्राइन बोर्ड की वेब-साइट पर ऑनलाइन कमरा बुक करने की सुविधा उपलब्ध है। अधिक जानकारी के लिए श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की वेबसाइट देखे।
  • कटरा से सांझीछत तक हेलीकॉप्टर द्वारा जाने की सुविधा भी उपलब्ध है। अधिक जानकारी के लिए श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की वेब-साइट देखें।
  • कटरा तथा भवन प्रागण हमारी माता रानी का घर है। कृपया इसे साफ़ रखने में सहायता करें। किसी भी प्रकार की गन्दगी न फैलाएं।

सबकी मुरादें पूरी करने वाली माँ हम सबका कल्याण करे। 

जय माता दी!! जय माता दी!! जय माता दी!! जय माता दी!!

आपके सुझाव या यात्रा सम्बन्धी कोई प्रश्न हो तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स में लिखें। 

आज के लिए इतना ही.. फिर आउंगी एक और यात्रा के साथ… तब तक अपना ख्याल रखिये……

39 thoughts on “यात्रा श्री माता वैष्णो देवी की !!

  1. It’s Nice pilgrimage !! Once i visited matarani dwar . Thanks for sharing some useful info

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    • Ji haan vinod ji aap november mata rani ke darshan ke liye ja sakte hain. Koi pareshani wali baat nahi hai. Sardi ke kapde saath le ke jaaye. Aapki yatra safal ho! Jai mata di!

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    • June me jaane me koi dikkat nahi.. bas garmi ki chhutiyo ki wajah se thodi bheed rehti hai lekin pareshaani wali koi baat nahi. Prachin gufa ke darshan bahar se hi karne hote hain.. ander jana nhi ho pata

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  2. we are proceeding for devi darshan in next week …. yatra description given by you is very useful . Thanks .

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    • Hello Suman!
      Yatra karte samay aap kam se kam samaan carry kare. Jis se chalne me asaani ho. Khane peene ki achhi vyavastha hai pure raaste me. SIrf kuch garm kapde carry kar le. Bhawan me blanket bhi available isliye blanket carry na kare. Apna samaan katra me hi cloak room/locker/hotel me rakh ke jaye. Phone yatra me carry kar sakte hain lekin bhawan me nahi le ja sakte. Bhawan me darshan se pehle wahi bane cloak room me phone aur baaki samaan jama karwa de.

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  3. हम अगस्त में माता रानी के दरबार मे जाना चाहते है बारिश की वजह से कोई परेशानी तो नही होगी

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    • हल्की बारिश की वजह से मौसम सुहाना रहता है.. यात्रा में कोई समस्या नहीं आती… सावधानी के साथ चढ़ाई करें और हलके गरम कपड़ें साथ रखें। माँ वैष्णो देवी आपकी यात्रा सफल करे।

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  4. Swati ji jai mata di
    Hum log july main darshan karane ja rahe hai kya barsat ke kapde bhi le jane padenge

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    • Barsaati aur anya samaan katra me uchit daam me uplabdh ho jaata hai… Yadi barsaat ka mausam ho to wahi se barsaati aadi le le.. ghar se je jaane ki aavshyakta nahi hai.. Keval halke garam kapde rakh le.. upar Bhawan ke pass kambal bhi uplabdh hai..
      Appki yatra safal rahe.. Jai mata di!

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  5. Swati ji, we are the family of four and visiting The Shrine in November. What would be the appropriate time to start the yatra/trek? Can we start our yatra early morning (4-5 AM)?

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    • Aditya Ji.. You can start your yatra early morning and reach at bhawan around noon.. do darshan and some rest and trek down back to katra. Just remember to bring light woolen clothes as it might get cold in early morning.

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  6. स्वाति जी अत्यंत महत्वपूर्ण औऱ रोचक जानकारी देने के लिए साधुवाद माता रानी का बुलावा हमें भी आ गया 21 मई 2019 को हम निकल रहे है
    जय माता दी

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